मंगलवार, 17 मई 2011

कुछ दिल की ..

लहरों को खामोश देखकर ये मत समझाना की समंदर में रवानी नहीं है,
हम जब भी उठेंगे तूफा बन कर उठेंगे, बस अभी उठने की ठानी नहीं है.
हमने तमाम उम्र अकेले सफ़र किया हमपर किसी खुदा की इनायत नहीं रही,
हिम्मत से सच कहो तो बुरा मानते हैं लोग रो-रो के बात कहने कि आदत नहीं रही। 




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