सोमवार, 4 अक्टूबर 2010

बेहतर है ..

जिस तट पर प्यास बुझाने से , अपमान प्यास का होता हो ॥
उस तट पर प्यास बुझाने से , प्यासा मर जाना बेहतर है॥

जब आंधी नाव डूबा देने को
अपनी जिद पे अड़ जाये ,
हर एक लहर नागिन बन के
डसने को फन फैलाये ।

ऐसे में भीख किनारों की मांगना धार से ठीक नहीं,
पागल तुफानो को बढकर आवाज़ लगाना बेहतर है ॥

कांटे तो अपनी आदत के
अनुसार, नुकीले होते है
कुछ फूल मगर कांटो से भी,
जादा जहरीले होते है ॥

जिसको माली आँखे मीचे मधु के बदले विष से सींचे ॥
ऐसी डाली पे खिलने से पहले मुरझना बेहतर है ॥

जो दिया उजाला दे न सके
तम के चरणों का दास रहे
अंधियारी रातो में सोये
दिन में सूरज के पास रहे ।

जो केवल धुंआ उगलता हो, सूरज पे कालिख मलता हो ॥
ऐसे दीपक का जलने से पहले , बुझ जाना बेहतर है ॥