आईना मैं और अक्स मैं....
गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012
मैं जिंदगी का साथ निभाती चली गई ..
बेफिक्र करके खुद को हर गम-ए-जहाँ से , मैं जी रही हूँ जिंदगी को इत्मिनान से ,
नाकामियों से ऐसे मुंह न मोड़िये हुजुर , गुजरेगी कामयाबी इसी पायदान से ....
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