शनिवार, 31 अक्टूबर 2009

जाने कितनी और बार कहना होगा....हर रोज़ ही दोहराया है....

" औरत है कुदरत का अनमोल तोहफा ...ये ममता का सागर मोहब्बत का दरिया ..मगर इसकी दुनिया ने कीमत न जानी"................यह ही सच्चाई है और यही विडम्बना है , इस स्त्री की !!! जो माँ है, बहन है,पत्नी है,प्रेमिका है और यकीनन एक इन्सान भी है ....पर क्या वो सही मायिने में जीवित है ? एक पुरूष उसे एक सराए समझ के अपनी रात गुजार देता है और वही स्त्री उस रात को अपने जीवन कि सबसे हसीन सौगात समझ कर अपनी जिंदगी गुजार देती है .....ऐसा क्यों होता है ? वो है तो इंसान ही , उसे सब महसूस होता है , समझ भी आता है ...पर फ़िर भी वो सिर्फ़ और सिर्फ़ मोहब्बत कि बारिश ही करती है !.....लेकिन फ़िर भी ठगी जाती है , हर मोड़ पे , राह पे ...क्या कसूर होता है उसका ? यही कि वो एक माँ बनकर रात भर जाग कर अपने बच्चे को सुलाने कि कोशिश करती है ? या फ़िर एक बहन बन कर अपने भाई की सफलता की दुआए करती है, जाने कितनी ही ख्याहिशे त्याग कर ? या फ़िर ये कि पत्नी है पति कि परछाई , सुख दुःख मे साथ निभाती है , साज़न कि साँसों में बस के दिल कि धड़कन बन जाती है .....मैं ख़ुद एक लड़की हूँ पर मैं ऐ मानने को कतई तैयार नही हूँ कि स्त्री कि ममता , मोहब्बत और उसकी खामोशी उसकी गलती है ....फ़िर क्यो ठगी जाती है वो इसी प्यार के नाम पे ????.....एक साधारण सी घटना जो उसकी जिंदगी बदल देती है ......वो कही किसी मोड़ पे किसी ऐसे इंसान से से टकरा जाती है, जो मानसिक रूप से विक्षिप्त है ...वो अपनी पुरी ताकत लगा देता है उसका विश्वास पाने के लिए ...और आखिरकार वो अपने प्यार का इतना खुबसूरत प्रदर्शन करता है कि लड़की के पास उसे प्यार करने के आलावा कोई चारा ही नही बचता ....और फ़िर शुरू हो जाता है वो सफर जहा सिर्फ़ आगे जाने का एक अँधियारा रास्ता होता है .....पर वो फ़िर भी चलती चली जाती है ...जिस इंसान को उम्मीद का दीया बना कर वो यहाँ तक चली आती है जहाँ से वापस लौटने कोई विकल्प नही वही एक इंसान अचानक कही अदृश्य हो जाता है ...और फ़िर से जब वो नज़र आता है तो उसकी आँखों मे किसी और का चेहरा होता है...क्या उसका विश्वास उसकी गलती होती है ? अगर नही तो क्यो वो बस अब तडपती रहेगी उस मोहब्बत के लिए जिस पे सिर्फ़ उसका अधिकार होना चाहिए ......अपनी हार का बदला क्यो ले लिया जाता है लड़की कि मासूमियत से खेल कर ??? गुजारिश है मेरी आप सभी से बंद कर दीजिये ये ढोंग ...जीने दीजिये उसे भी वो इश्वर का दिया सबसे अनमोल मोत्ती है जो आप सभी कि झोली मे गिरा है किसी न किसी रूप मे ......

5 टिप्‍पणियां:

  1. ya..............really good one truth of life and a suggesion for those who r playing with the feelings of others...........hona to yeh chahiye ki aise logo ko beech chaurahe par khada krke.................agge mere khayal se kuch bolne ki zarurat nhi hai

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  2. its so beautiful lady , i m mesmerised.u must continue with writing. purush ke liye aurat ek kila hoti hai jisko fatah karke woh ek aur kila fatah karne nikal padta hai. jab tak kila fatah nahi hota hai tabtak ki nautaki ko pyar kahte hai.

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  3. sab purush ek jaise nhi hote....apne apne sochne ka tarika hai...har insan galat nhi hota...

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  4. कुछ महिलायें भी यहीकरतीं हैं , यह सब -महिला-पुरुष - की बात नहीं , मानव अनाचरण की बात है |

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  5. aapne bahut sahi likha hai.lekin..har bar har jagah puroosh ko hin galat thahraya ja raha hai kyo ? jis tarah apne hath ka pancho ungli ek jaisa nahi hai usi tarah sare puroosh ek jaise nahi hai.aaj bhi hamare Bhartia sabhyata me nari ka bahut ijjat ki jati hai.agar nari Dost,Bahan,Patni aur Maa Ban sakti hai to usme uska tiraskar karne wali kaun si bat hui.aur rista to usi ke marji se banta hai...

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